Saurabh Yadav

Saurabh Yadav

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#suspense  बज्जGकेVग्गवँकक
व्हिबगयिकव्ह
हुइंगफईझ

©Saurabh Yadav

बज्जGकेVग्गवँकक व्हिबगयिकव्ह हुइंगफईझ ©Saurabh Yadav

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एक उम्र होती है इच्छाओं को जीने की और वही उम्र हो जाती है इच्छाओं को मारने की इच्छाएं ही उम्र घटाती है इच्छाएं ही उम्र बढाती है इच्छाओं को मारकर ही तुम बड़े लगने लगते हो और इच्छाएं भी वो जो उस उम्र की होती है। ये उम्र की इच्छाएं ही है जो हमारी भूख बढाती है हर रोज लगता है कि आज थोड़ा खुल के जियेंगे तबज्जो देगे इच्छाओं को,थोड़ा समय खराब करके लेकिन सामने पड़ा आँखे दिखाता काम मौका नही देता। जैसे शेर के सामने हतप्रभ सा खड़ा बकरी का बच्चा हर दिन इच्छाओं को मारकर जीते है नई इच्छाओं के लिए और दिनो दिन समझाते जाते है खुद को कि शायद यही ज़िन्दगी है,त्याग और तपस्या की भूखी जबसे होश संभाला है तबसे ये होश ही नही कि आखिरी बार होश-ओ-हवास में कब थे काश ये होश ही न आता बने रहते उसी बचपने में जहाँ यही न पता था कि इच्छाएं क्या होती ©Saurabh Yadav

#ज़िन्दगी #Winters  एक उम्र होती है इच्छाओं को जीने की
और वही उम्र हो जाती है इच्छाओं को मारने की 
इच्छाएं ही उम्र घटाती है 
इच्छाएं ही उम्र बढाती है
इच्छाओं को मारकर ही तुम बड़े लगने लगते हो
और इच्छाएं भी वो जो उस उम्र की होती है।
ये उम्र की इच्छाएं ही है जो हमारी भूख बढाती है 

हर रोज लगता है कि आज थोड़ा खुल के जियेंगे
तबज्जो देगे इच्छाओं को,थोड़ा समय खराब करके
लेकिन सामने पड़ा आँखे दिखाता काम मौका नही देता।
जैसे शेर के सामने हतप्रभ सा खड़ा बकरी का बच्चा
हर दिन इच्छाओं को मारकर जीते है नई इच्छाओं के लिए
और दिनो दिन समझाते जाते है खुद को 
कि शायद यही ज़िन्दगी है,त्याग और तपस्या की भूखी
जबसे होश संभाला है तबसे ये होश ही नही
 कि आखिरी बार होश-ओ-हवास में कब थे
काश ये होश ही न आता बने रहते उसी बचपने में
 जहाँ यही न पता था कि इच्छाएं क्या होती

©Saurabh Yadav

कविता। poetry #Winters

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#प्रेरक #SaawanAaya

poetry #SaawanAaya

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हम रोज़ रोज़ सुबह सूरज से पहले उठते है एक नए दिन की शुरुआत के लिए। इस उम्मीद के साथ कि आज कुछ अधूरा न छूटे बीते कल के कुछ अधूरे काम और नए दिन के कुछ नये काम। लेकिन घड़ी की सुईयां तो इतनी तेज़ भागती है जैसे सुबह से दौड़ने के लिए ही बैठी हो। पीछा करते करते 12 कब बज जाए पता ही न चलता और फिर अधूरे काम को अधूरा ही छोड़कर पकड़ लेते है नए काम को कि इसमें कुछ अधूरा न रह जाए कितना भी धीर-गंभीर ढंग से चलने की कोशिश करो लेकिन शाम आते आते हम उसी रास्ते पर लौट है जिसपर बीते दिन चले थे। एक आह के साथ झूठे मन से किये पर खेद जताते हुए समझाते है खुद को कि हो ही जायेगा लेकिन रात के 10 बजते बजते हिम्मत जवाब दे जाती है। और बैठ जाते है शांत होकर एक थके योद्धा की तरह भविष्य की चिंता के साथ। और खोलते है बिस्तर की परतों को सोने के लिए मन में एक आस लिए कि अगली सुबह शायद अलग होगी // ©Saurabh Yadav

#sunflower  हम रोज़ रोज़ सुबह सूरज से पहले उठते है
एक नए दिन की शुरुआत के लिए। 
इस उम्मीद के साथ कि आज कुछ 
अधूरा न छूटे
बीते कल के कुछ अधूरे काम 
और नए दिन के कुछ नये काम।
लेकिन घड़ी की सुईयां तो इतनी तेज़ 
भागती है जैसे सुबह से दौड़ने के लिए 
ही बैठी हो। 
पीछा करते करते 12 कब बज जाए पता ही 
न चलता
और फिर अधूरे काम को अधूरा ही छोड़कर 
पकड़ लेते है नए काम को कि इसमें कुछ अधूरा न रह जाए
कितना भी धीर-गंभीर ढंग से चलने की कोशिश करो
 लेकिन शाम आते आते हम उसी रास्ते पर लौट है
 जिसपर बीते दिन चले थे। 
एक आह के साथ झूठे मन से किये पर खेद जताते हुए
 समझाते है खुद को कि हो ही जायेगा
लेकिन रात के 10 बजते बजते हिम्मत जवाब दे जाती है। 
और बैठ जाते है शांत होकर एक थके योद्धा की तरह
भविष्य की चिंता के साथ।
और खोलते है बिस्तर की परतों को सोने के लिए 
मन में एक आस लिए कि अगली सुबह शायद अलग होगी
//

©Saurabh Yadav

#sunflower

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एक समय आएगा जब तुम्हारा संघर्ष शिखर पर होगा जब थक चुके होगे निरन्तर प्रयासो के परिश्रम से कोई मोह नही होगा अपने तन की सजावट से चेतना मर चुकी होगी बदन की थकावट से जब उम्मीदों की शाम ढल चुकी होगी तब बैठ जाना साहिल पर एक नए सवेरे के लिए और देखना उन समुद्र की टकराती लहरों को जो जीत लेने की चाह में समुद्र से लड़कर आती है देखना उस आसमां को जो धरती से कितनी दूर है किन्तु दूर-क्षितिज पर वो भी धरती को चूमता है तब कतरा-कतरा समेटना खुद को लड़ने के लिए दुर्गम पहाड़,बर्फीले रेगिस्तान की फतह के लिए एक नये जोश,नये उन्माद,नये विभव से फैलाना अपने हाथो और समेट लेना आकाश को इन बाँहों में तब पाओगे क्या है जो समेटा न जाए सके इन बाहों में तब निकल पड़न सम्पूर्ण समर्पण के साथ अंतिम प्रयास के लिए "पैर में कांटे लगे या दर्द सौ बार हो जीत हो या हार हो बस यही अंतिम बार हो।" ©Saurabh Yadav

#SunSet  एक समय आएगा जब तुम्हारा संघर्ष शिखर पर होगा
जब थक चुके होगे निरन्तर प्रयासो के परिश्रम से 
कोई मोह नही होगा अपने तन की सजावट से
चेतना मर चुकी होगी बदन की थकावट से
जब उम्मीदों की शाम ढल चुकी होगी
तब बैठ जाना साहिल पर एक नए सवेरे के लिए
और देखना उन समुद्र की टकराती लहरों को
जो जीत लेने की चाह में समुद्र से लड़कर आती है
देखना उस आसमां को जो धरती से कितनी दूर है
किन्तु दूर-क्षितिज पर वो भी धरती को चूमता है
तब कतरा-कतरा समेटना खुद को लड़ने के लिए
दुर्गम पहाड़,बर्फीले रेगिस्तान की फतह के लिए
एक नये जोश,नये उन्माद,नये विभव से
फैलाना अपने हाथो और समेट लेना आकाश को इन बाँहों में 
तब पाओगे क्या है जो समेटा न जाए सके इन बाहों में
तब निकल पड़न सम्पूर्ण समर्पण के साथ अंतिम प्रयास के लिए
"पैर में कांटे लगे या दर्द सौ बार हो
जीत हो या हार हो बस यही अंतिम बार हो।"

©Saurabh Yadav

#SunSet

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सहसा बने इन रिश्तो के एहसासों में सोया रहता हूँ तू दोस्त है मेरी और मैं तुझमे खोया रहता हूँ तेरी वादाखिलाफी और तेरा ये शरारती प्यार शाम की फोन कॉल पर फ़िजूली बातों का अंबार रूठना मनाना इतराना ये अब तेरी खूबसूरती की कलियां है। इसलिये हर मरतबा मैं तुझे चिढ़ाता रहता हूँ। तू दोस्त है मेरी और मैं तुझमे खोया रहता हूँ। कुछ बातें है जो तुझे अलग बनाती है। तुझ में रहकर वो तुझे ही सजाती है। इश्क़ मोहब्बत से मेरा मसवरा नही मेरा दोस्ती के महफ़िल* से इनको दूर ही रखता हूँ। तू दोस्त है मेरी और मैं तुझमे खोया रहता हूँ ये दोस्ती के फूल बिना बीज के खिले है खुशबू बनी रहे इनकी मैं बफादारी का पानी देता रहता हूं। तू दोस्त है मेरी और मैं तुझमे खोया रहता हूँ।। एक दिन फूल सूख जाएंगे,खुशबू उड़ जायेगी वक़्त की डोर तुझे मुझसे खिंच ले जायेगी जब मिलने की उम्मीदें मर चुकी होगी तब मिलेगी एक अनजाने शहर में एक अनजाने के साथ तब फिर से नए फूल खिलेंगे,पुरानी यादों के तब कुछ पन्ने खुलेंगे। ये सब मैं अक्सर रातों में सोचता रहता हूँ। क्योंकि तू दोस्त है मेरी और मैं तुझमे खोया रहता हूँ। ©Saurabh Yadav

#youandme  सहसा बने इन रिश्तो के एहसासों में सोया रहता हूँ
तू दोस्त है मेरी और मैं तुझमे खोया रहता हूँ
तेरी वादाखिलाफी और तेरा ये शरारती प्यार
शाम की फोन कॉल पर फ़िजूली बातों का अंबार
रूठना मनाना इतराना ये अब तेरी खूबसूरती की कलियां है।
इसलिये हर मरतबा मैं तुझे चिढ़ाता रहता हूँ। 
तू दोस्त है मेरी और मैं तुझमे खोया रहता हूँ।

कुछ बातें है जो तुझे अलग बनाती है।
तुझ में रहकर वो तुझे ही सजाती है।
इश्क़ मोहब्बत से मेरा मसवरा नही मेरा
दोस्ती के महफ़िल* से इनको दूर ही रखता हूँ।
तू दोस्त है मेरी और मैं तुझमे खोया रहता हूँ

ये दोस्ती के फूल बिना बीज के खिले है
खुशबू बनी रहे इनकी मैं बफादारी का पानी देता रहता हूं।
तू दोस्त है मेरी और मैं तुझमे खोया रहता हूँ।।

एक दिन फूल सूख जाएंगे,खुशबू उड़ जायेगी
वक़्त की डोर तुझे मुझसे खिंच ले जायेगी
जब मिलने की उम्मीदें मर चुकी होगी
 तब मिलेगी एक अनजाने शहर में एक अनजाने के साथ
तब फिर से नए फूल खिलेंगे,पुरानी यादों के तब कुछ पन्ने खुलेंगे।
ये सब मैं अक्सर रातों में सोचता रहता हूँ। क्योंकि
तू दोस्त है मेरी और मैं तुझमे खोया रहता हूँ।

©Saurabh Yadav

#youandme

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