हर नारी सही नही होती
आती नही करनी बड़ी बड़ी बातें मुझे
पर किया नही तेरे संग कभी कुछ गलत मैने
सारे रीति रिवाज निभा कर अपना तुझे बनाया था
छल किया तूने मैंने तो रिश्ता दिल से निभाया था
गलती को तेरे माफ किया सो बार तुझे समझाया था
अपमान को अपने भूल के मैने सर को अपने झुकाया था
जो कहा तूने मुझसे हर बात को तेरी मैने माना था
सारी उम्र तेरे साथ रहने का ख्वाब मैने सजाया था
तेरे लिए तो बहन ने मेरी फूलों का सेज सजाया था
रहे खुश जीवन में तू ये बड़ो ने मेरे रब से मांगा था
पर छोड़ के मेरा साथ तूने हाथ गैर का थामा था
कैसे भूलूं मुझे मारने का तूने जाल बिछाया था
पर था सर पे हाथ मां का जो रब ने तुझसे मुझे बचा लिया
पर तू तो गिर गई नीचे इतना की मां को मेरी फसा दिया
शर्म नही आई तुझको मानवता की सारी सीमा को तूने पार किया
मां सा प्यार दिया जिसने उस सास पे झूठा इल्जाम तूने लगा दिया
अब माफ नही करूंगा तुझको तू रचले चाहे जितनी रचनी तुझको माया है
समझ गया हूं मैं तू मेरे परिवार पर मंडराता हुआ बुरा एक साया है
©Ashu Dwivedi
# हर नारी सही नही होती