White शीर्षक (बेटी) मेरी व्यथा यहाँ समझेगा कौन, | हिंदी कविता

"White शीर्षक (बेटी) मेरी व्यथा यहाँ समझेगा कौन, देख रहा समाज, हो मूक मौन। आंखो से करते वो चीरहरण चौराहे पर, खड़ा कर दिया हर बेटी को दोराहे पर। बाबा उम्मीदें हमसे भी पालो तुम, गिर भी जाऊं हाथ पकड़ संभालो तुम। अपमानित न हो सके कोई द्रौपदी, गिरधारी बन भैया लाज बचालो तुम। ©kumar ramesh rahi"

 White शीर्षक 
(बेटी)

मेरी व्यथा यहाँ समझेगा कौन,
देख रहा समाज, हो मूक मौन।
आंखो से करते वो चीरहरण चौराहे पर,
खड़ा कर दिया हर बेटी को दोराहे पर।

बाबा उम्मीदें हमसे भी पालो तुम,
गिर भी जाऊं हाथ पकड़ संभालो तुम।
अपमानित न हो सके कोई द्रौपदी, 
गिरधारी बन भैया लाज बचालो तुम।

©kumar ramesh rahi

White शीर्षक (बेटी) मेरी व्यथा यहाँ समझेगा कौन, देख रहा समाज, हो मूक मौन। आंखो से करते वो चीरहरण चौराहे पर, खड़ा कर दिया हर बेटी को दोराहे पर। बाबा उम्मीदें हमसे भी पालो तुम, गिर भी जाऊं हाथ पकड़ संभालो तुम। अपमानित न हो सके कोई द्रौपदी, गिरधारी बन भैया लाज बचालो तुम। ©kumar ramesh rahi

हिंदी कविता #बेटी #हैवानियत #विनती #उम्मीदें #बाबा #समाज
#जिम्मेदारी #लाज #गिरधारी #kumarrameshrahi

People who shared love close

More like this

Trending Topic