kumar ramesh rahi

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White शीर्षक (बेटी) मेरी व्यथा यहाँ समझेगा कौन, देख रहा समाज, हो मूक मौन। आंखो से करते वो चीरहरण चौराहे पर, खड़ा कर दिया हर बेटी को दोराहे पर। बाबा उम्मीदें हमसे भी पालो तुम, गिर भी जाऊं हाथ पकड़ संभालो तुम। अपमानित न हो सके कोई द्रौपदी, गिरधारी बन भैया लाज बचालो तुम। ©kumar ramesh rahi

#जिम्मेदारी #हैवानियत #उम्मीदें #गिरधारी #कविता #विनती  White शीर्षक 
(बेटी)

मेरी व्यथा यहाँ समझेगा कौन,
देख रहा समाज, हो मूक मौन।
आंखो से करते वो चीरहरण चौराहे पर,
खड़ा कर दिया हर बेटी को दोराहे पर।

बाबा उम्मीदें हमसे भी पालो तुम,
गिर भी जाऊं हाथ पकड़ संभालो तुम।
अपमानित न हो सके कोई द्रौपदी, 
गिरधारी बन भैया लाज बचालो तुम।

©kumar ramesh rahi

पत्थर भी तैर पड़ते ग़म का दरिया देखकर जब तक हौसला गिरां उम्मीदों पर भारी रहा ©kumar ramesh rahi

#उम्मीदों #दरिया #शायरी #हौसला #पत्थर #kumarrameshrahi  पत्थर भी तैर पड़ते ग़म का दरिया देखकर
जब तक हौसला गिरां उम्मीदों पर भारी रहा

©kumar ramesh rahi

हमने जब भी हाथों को उठाया दुवाएं मांगी मग़र तिरा अदावते बिलक़स्द कम न हुआ ©kumar ramesh rahi

 हमने जब भी हाथों को उठाया दुवाएं मांगी
मग़र तिरा अदावते  बिलक़स्द कम न हुआ

©kumar ramesh rahi

#Past #दुवाएं #अदावत #बिल्क़स्द #यादें #रिश्ते #शायरी #twoliner #kumarrameshrahi

12 Love

खा़मोशियों का यूं तजकिरा क्या करें इतनी भी बेरूखी जमाने की ठीक नही ©kumar ramesh rahi

 खा़मोशियों का यूं तजकिरा क्या करें
इतनी भी बेरूखी जमाने की ठीक नही

©kumar ramesh rahi

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12 Love

हरबार मिरा हमसाया तू इतना लहुलुहान करता है क्या मिरा जिस्म का क़तरा तेरे जिस्म से कमतर है ©kumar ramesh rahi

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क्या मिरा जिस्म का क़तरा तेरे जिस्म से कमतर है

©kumar ramesh rahi
#इंतजार #हिंदी #यादें #kumarrameshrahi #नजर #कदर  तेरा इंतज़ार....भी कितना खलता है
निकले हो जब उम्मीदों के सफ़र पर

ढूंढने......चलोगे किसे यूं जहाँ तलक
पता है उसका दिल रहती है नज़र पर

मिलके बिछड़ना कुदरत का निजाम
आंख भर आई रुखसती के ख़बर पर

रिश्तों का कलेवा कभी चख तो लेते
फिर तजकिरा करते उसके असर पर

चिंगारियाँ उड़ रही आदतन लफ्जों से
धूल में ज़िंदगी और गुबार है शहर पर

एहसासों को नमकीन कर गया 'राही'
सूखते लम्हों में याद....आई कदर पर

©kumar ramesh rahi
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