तू अपनी खूबियाँ ढूँढ, कमियाँ निकालने के लिए
लोग है ना।
सपने हमेशा ऊंचे देख, नीचा दिखाने के लिए
लोग है ना
खुद को रख बुलंद इतना, के तूफां कदम डगमगा ना सके
रख निगाहें मंजिल की और के तेरे इरादे कोई हिला ना सके,
बदलेंगी हाथो की लकीरें गर शिद्दत से तू चाहेगा,
तेरी किस्मत कोई और नही तू खुद ही उसे बनाएगा,
माना जिंदगी की डगर काँटों भरी है,
माना राहो में तेरी मुश्किल बड़ी है
गर छूना चाहता है क्षितिज तू,
गिरकर संभलना आना होगा,
ठोकरे भी खानी होंगी, खून का घूँट भी पीना होगा,
अश्क हो आँखों मे भले ही लबो से मुस्कुराकर जीना होगा।
तू रख निग़ाहें राहें मकाँ पर, पीछे खींचने के लिए
लोग है ना।
तू जश्न मना खुद अपनी कामयाबी का, तेरी खुशियों से जलने के लिए
लोग है ना।
नेहा गुप्ता
©Nehaashutosh gupta
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