न गुस्ताख हम थे ,न गुस्ताख तुम ,न गुस्ताख था, ये स | हिंदी शायरी

"न गुस्ताख हम थे ,न गुस्ताख तुम ,न गुस्ताख था, ये सारा जमाना। दिल तो पहले से ही लगा चुके थे, तब कैसा ये अफसाना। Anubhav Chaudhary"

 न गुस्ताख हम थे ,न गुस्ताख तुम ,न गुस्ताख था, ये सारा जमाना।
दिल तो पहले से ही लगा चुके थे, तब कैसा ये अफसाना।
Anubhav Chaudhary

न गुस्ताख हम थे ,न गुस्ताख तुम ,न गुस्ताख था, ये सारा जमाना। दिल तो पहले से ही लगा चुके थे, तब कैसा ये अफसाना। Anubhav Chaudhary

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