बचपन की कुछ मीठी यादें है
जिसको याद करते ही फूलो से खिल जाते है
यू दिन दिन भर पतंग उड़ाना चाहे धूप हो या बरसात में
यू परछाई बनाकर खेलना मोमबत्ती की प्रकाश में
बारिशों में गड्ढों में छपछपना बिना किसी परवाह के
कागजों की नाव बनाकर तैरना
पानी की धार में
जोर जोर से गाने गाना बिना
सुर और ताल के
बचपन की वो कितनी ही यादें कैद है मन के
बेहतरीन किस्सों की किताब में
जो भूले ना भुलाई जाती उम्र के हर बढ़ते पड़ाव में
©Priya's poetry life
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