फिर से कलम में दर्द भर रहा है, वजह तुम हो ! फिर से

"फिर से कलम में दर्द भर रहा है, वजह तुम हो ! फिर से आंखों में आंसू छलक रहा है ,वजह तुम हो!मरकर जिंदा हुए थे हम फिर से मरने लगे हैं वजह तुम हो।✍️ ©Ashish sahay"

 फिर से कलम में दर्द भर रहा है, वजह तुम हो ! फिर से आंखों में आंसू छलक रहा है ,वजह तुम हो!मरकर जिंदा हुए थे हम फिर से मरने लगे हैं वजह तुम हो।✍️

©Ashish sahay

फिर से कलम में दर्द भर रहा है, वजह तुम हो ! फिर से आंखों में आंसू छलक रहा है ,वजह तुम हो!मरकर जिंदा हुए थे हम फिर से मरने लगे हैं वजह तुम हो।✍️ ©Ashish sahay

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