शब्द, रूठ गए हैं मुझसे, चाहते हैं आना, पर मानस प | हिंदी Poetry

"शब्द, रूठ गए हैं मुझसे, चाहते हैं आना, पर मानस पर दस्तक न देते हैं, उन्हें व्यस्तता बिल्कुल नहीं भाती, कहते हैं, सहज होना होगा मुझे, हटाना होगा ये पर्दा समझदारी का, अबोध होना होगा और निश्चल भी, जब मन की लहरें शांत होगी, और, ख़ुद को स्वयंभू ना मानोगे, तो सोचेंगे आने का । ©Diwakar Tripathi"

 शब्द,
 रूठ गए हैं मुझसे,
चाहते हैं आना, पर मानस 
पर दस्तक न देते हैं,
उन्हें व्यस्तता बिल्कुल नहीं भाती,
कहते हैं,
 सहज होना होगा मुझे,
हटाना होगा ये पर्दा समझदारी का,
अबोध होना होगा और निश्चल भी, 
जब मन की लहरें शांत होगी,
और,
ख़ुद को स्वयंभू ना मानोगे,
तो सोचेंगे आने का ।

©Diwakar Tripathi

शब्द, रूठ गए हैं मुझसे, चाहते हैं आना, पर मानस पर दस्तक न देते हैं, उन्हें व्यस्तता बिल्कुल नहीं भाती, कहते हैं, सहज होना होगा मुझे, हटाना होगा ये पर्दा समझदारी का, अबोध होना होगा और निश्चल भी, जब मन की लहरें शांत होगी, और, ख़ुद को स्वयंभू ना मानोगे, तो सोचेंगे आने का । ©Diwakar Tripathi

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