हर कोई खींचेगा चरित्र तुम्हारा अपनी नज़रों से,
कोई कायर समझेगा तो कोई बलवान,
कोई जानेगा तुम्हारी दु:खती रग,
तो कोई जिजीविषा के लिए
देगा तुम्हे सम्मान,
कइयों की नज़रों में हारे हुए होगे तुम,
कइयों की कहानियों में दरकिनार होगे तुम,
होगे सिरफिरे तुम, कइयों के लिए,
तो कोई संजीदा समझेगा,
रंजीदा मत होना,
लोग तो यूं ही दावा करते हैं,
सबको जानने का ,पहचानने का,
पर जब वो लोग खुद से मुखातिब होते हैं अकेले मे,
तो डरते हैं, ख़ुद से खुद को जानने में।
पर तुम्हे ये साहस करना होगा,
ख़ुद का मूल तुम्हे जानना होगा,
देखना होगा तटस्थ हो,
ख़ुद को ख़ुद की नज़रों से,
फिर जो मिले स्वीकारना होगा उसे,
वैसा ही जैसा है,
वो चरित्र तुम्हारा है।
©Diwakar Tripathi
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