ऐ " दर्द ", तू होता क्यों है?
अकेले, तन्हाइयों में,
सबसे छुप कर,
तू रोता क्यों है?
ऐ " दर्द ", तू होता क्यों है?
बेमतलब, मतलबियों से,
मिलने की कसक,
तू जागता क्यों है?
ऐ " दर्द " , तू होता क्यों है?
दिलों में तू होता ही है,
चेहरे पे, क्यों होता नहीं,
आखिर झूठी हंसी ,
तू हंसता क्यों है ?
ऐ " दर्द " , तू होता क्यों है ?
गहरी रातें, बहती आंखें,
उनकी खयालें,और बेबस सा मैं,
फिर भी साथ मेरे,
तू सोता क्यों है ?
ऐ " दर्द " , तू होता क्यों है ?
अरे उदय, तू सच में पागल ही है क्या,
भला राज दिलों के ,
तू लिखता क्यों है?
ऐ " दर्द " , तू होता क्यों है।
ऐ " दर्द " , तू होता क्यों है।
©uday kumar
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