बातें थी अन्जानी, हमने ना पहचानी, अपने ही हाथों से
"बातें थी अन्जानी, हमने ना पहचानी,
अपने ही हाथों से लिख दी एक कहानी |
ना कोई था राजा, ना कोई थी रानी,
पल-पल के पैमानो ने रच दी अजब कहानी |
ना किसी की जीत हुई, ना किसी की हार,
जिसको मिलना था मिले, बिछ्डे तो प्रेम अपार |"
बातें थी अन्जानी, हमने ना पहचानी,
अपने ही हाथों से लिख दी एक कहानी |
ना कोई था राजा, ना कोई थी रानी,
पल-पल के पैमानो ने रच दी अजब कहानी |
ना किसी की जीत हुई, ना किसी की हार,
जिसको मिलना था मिले, बिछ्डे तो प्रेम अपार |