तरसती निगाहें गुजरा जमाना,
मुश्किल है मुख से कुछ कह पाना I
हाथ में अन्न माथे की शिकन,
जीवन का कैसा ये रंग ?
कापता तन और उदर की अग्न,
है इसलिए इतना विरक्त सा मन ।
कुछ करने का मन पर शरीर अंपग,
शायद इसीलिए इतनी आंखें हैं नम ।
बातें थी अन्जानी, हमने ना पहचानी,
अपने ही हाथों से लिख दी एक कहानी |
ना कोई था राजा, ना कोई थी रानी,
पल-पल के पैमानो ने रच दी अजब कहानी |
ना किसी की जीत हुई, ना किसी की हार,
जिसको मिलना था मिले, बिछ्डे तो प्रेम अपार |
मेरी प्यारी ज़िन्दगी, सपनो को तुम भूल ना जाना,
अपनो से तुम यू मिल जाना
जाकर दिल की गहराई में,
मन में एक एहसास जगाना
बीते वक्त के साथ ना चलना,
चाहे मिले कोई दर्द पुराना
जीवन की इस भाग-दौड में,
हँसकर फिर तुम कदम बढ़ाना
नए रिश्ते नए दिनों का दौर है आया,
कुछ यादो को साथ है लाया
कुछ अपने जो पास नहीं है,
कुछ सपने जो खास नहीं है
पर सपनो में कुछ आस है बाकी,
हर रिश्ते में मान है काफी
जीवन की इस भाग-दौड में,
मिलकर चलना साथ है काफी
तुझमे है एक नया सवेरा,
उगना चाहे दिन हो गहरा
हर इच्छा मन की पुरी करना,
चाहे जैसे पल साथ तुम्हारे
सही-गलत मे भेद है करना,
पर माँग समय की ध्यान में रखना
बीता समय यू भूल ना जाना,
अपनी एक पहचान बनाना
नया दौर फिर पास तुम्हारे,
नयी आशाऍ फिर साथ तुम्हारे
जीवन के इस समय-चक्र में,
कोई आने वाली साथ तुम्हारे
स्थिती-परिस्थिती हर खेल-जाल में,
हरपल्, हरदम साथ है प्यारे |
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