मेरी प्यारी ज़िन्दगी, एक बार फिर इम्तिहान का दौर आया है,
अब तो मत आज़मा जिंदगी,
मेरे मासूम दिल ने तो ग़म को भी हँसाया है |
यकीन नहीं तो फिर देख ले,
वैसे भी मैंने ताउम्र खुश रहने का कसम खाया है |
और क्या बताऊँ,आसान नहीं मुझे रूलाना,
उड़ती आँधियों में भी मैंने चिराग जलाया है |
हद होगी जब ये कह दूँ ,
टूटते मन को भी खूशियों से मैंने भरमाया है |
मैं वो हूँ ,
जिसने अमावस के अँधेरे में भी,
रोशनी बटोरकर खुद को चलना सिखाया है |
मत दे मुझे चुनौती,
हार को भी मैंने जीत के लिए उकसाया है |
©NAYANSI SHARMA
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