"शराब जिंदगी गुजर रही थी बड़ी
तकलीफ और दिक्कत में
मैं खामोश दुनिया की बातें
अनसुना करके पीता हर शाम फुरसत में
कोई इश्क़ में लूट गया कहता
कोई कर्ज में डूब गया कहता
सारी इमान अपनी गिरवी रखके
मैं तो जाम की शोखियो में
आंखे भिगाके के खूब रोता
असर नहीं हुए इन जमाने की बातों में
मैं नशे से ही गिरा और नशे में भी डूब के
फिर लौट आया हूँ मैं जिंदगी ए बहार में
शराब के लत से हँसता
✍️सफर
©Aatish Safar"