सर्दी का मौसम मन भी हुआ सर्द जाने कब समझे जमाना उ

"सर्दी का मौसम मन भी हुआ सर्द जाने कब समझे जमाना उन नारियों का दर्द। अपने ही पति द्वारा जो रोज़ कुचली जाती हैं। शादी के नाम पर शारीरिक प्रताड़ना पाती हैं। एक देश दो अलग-अलग फैसले व कानून। एक बात तय है यह है वैवाहिक रिश्ते का खून! आओ मिलकर कदम उठाएँ वैवाहिक रिश्ते में सहमति को आधार बनाएँ। वरना बाहर के भेड़िए और अंदर में कोई फर्क नहीं नजर आए। ©Rita Jha"

 सर्दी का मौसम 
मन भी हुआ सर्द
जाने कब समझे जमाना
उन नारियों का दर्द।
अपने ही पति द्वारा जो
रोज़ कुचली जाती हैं।
शादी के नाम पर शारीरिक प्रताड़ना पाती हैं।
एक देश दो अलग-अलग फैसले व कानून।
एक बात तय है यह है वैवाहिक रिश्ते का खून!
आओ मिलकर कदम उठाएँ
वैवाहिक रिश्ते में सहमति को आधार बनाएँ।
वरना बाहर के भेड़िए और अंदर में कोई फर्क नहीं नजर आए।

©Rita Jha

सर्दी का मौसम मन भी हुआ सर्द जाने कब समझे जमाना उन नारियों का दर्द। अपने ही पति द्वारा जो रोज़ कुचली जाती हैं। शादी के नाम पर शारीरिक प्रताड़ना पाती हैं। एक देश दो अलग-अलग फैसले व कानून। एक बात तय है यह है वैवाहिक रिश्ते का खून! आओ मिलकर कदम उठाएँ वैवाहिक रिश्ते में सहमति को आधार बनाएँ। वरना बाहर के भेड़िए और अंदर में कोई फर्क नहीं नजर आए। ©Rita Jha

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#TwoLaws

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