White सपनों की उड़ान-हिंदी कहानी (भाग 42) में आपका स्वागत है!
नंदू कपड़ा बदल कर सोचता है, अब अपने क्वार्टर पे चलना चाहिए!लेकिन कठोर निर्णय लेने से पहले, उसकी चेतना एक बार शिखा से अनुमति लेने का सलाह मांगता है!यही सोचकर वह फिर अपना हाथ सेकने लगता है, और शिखा का इंतजार करने लगता है! लेकिन शिखा खाना बनाने में इतनी व्यस्त थी, की इधर आने का नाम ही नहीं ले रही थी! नंदू मन ही मन सोचता है, क्यों न उसे आवाज देकर बता दूं कि मैं जा रहा हूं!
लेकिन ,शर्मिंदगी की जंजीर नंदू को ऐसे कैद कर लिया था, जैसे किसी पुरानी वृक्ष को ढेर सारी लताऐं!
काफी समय गुजर जाने के बाद , जब सीखा वहां नहीं आती है,तब उसके मन में एक तरकीब सूझता है!
वह उस लोहे की रॉड को बाहर की तरफ फेंखते हुए इहो.. इहो..कि आवाज लगाने लगता है! जैसे किसी जानवर को भगा रहा हो!
इहो.. इहो.. की आवाज सुनकर,शिखा दौड़ती हुई आती है,और अपनी आंखें बड़ी बड़ी करके, इधर-उधर देखने लगती है!
बाहर कुछ नजर ना आने पर, वह नंदू से पूछती है क्या था?
नंदू धीमे स्वर में बोलता है,एक बड़ा सा कुत्ता था, जो अंदर की तरफ आ रहा था!
©writer Ramu kumar
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