काश मेरी भी बेटी होती।
दुनियां में अनोखी होती।
पल में रोती पल में हसती।
पास मेरे वो बैठी होती।
नये - नये करतब दिखलाती।
दादी बनकर मुझे समझाती।
प्रतिदिन मुझको सुबह-शाम वो।
अपनी बातों से हँसाती।
आकर पास मेरे सो जाती।
नये - नये खिस्से सुनाती।
जो मेरी होती बिटिया तो।
पूरे घर का मन लुभाती।
गुड़िया रानी बनकर रहती।
मेरा आंगन रौशन करतीं।
गुड्डे गुड़ियों का व्याह रचाती।
बात हृदय की मुझसे कहती।
काश मेरी भी बेटी होती।
काश मेरी भी बेटी होती।
अजय कुमार द्विवेदी ''अजय''
©Ajay Kumar Dwivedi
#HappyDaughtersDay2020