" à¤à¤• à¤à¤¸à¤¾ कानून होना चाहिठ**अंधा कानून **
दौलत के तराजू में , यहाँ बिकता है न्याय,
बात जब गरीब की हो ,कहाँ टिकता है न्याय,
आँखों पर पड़ी पट्टी , बता रही है फ़साना,
सालों साल बीत जाते है ,पर कहाँ दिखता है न्याय,
निर्भया,करिश्मा या साक्षी,यहाँ सब दम तोड़ देती हैं,
मिट जातें हैं वादी यहाँ,मगर नही मिटता है न्याय ,
कौन कहता है कि इसकी नज़र में सब बराबर हैं,
अगर जेब हो गरम तो ,ख़ुद में सिमटता है न्याय,
एक ऐसा कानून हो ,जहाँ सिर्फ़ न्याय होता हो ,
सबको इंसाफ मिले,न्याय को दौलत से न तौला जाए,।।
-पूनम आत्रेय
©poonam atrey
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