हर सख्श नही चल सकता , आपके हिसाब से , थोड़ा आप भी | हिंदी शायरी

"हर सख्श नही चल सकता , आपके हिसाब से , थोड़ा आप भी बदल जाओ , वक़्त के हसाब से, औऱ कुछ पल के लिए, नजरिया को बदलो, जनाब आईना नही , अपनी सख्शियत को बदलो। अरुण राजपूत की कलम से---// ©ARUN KUMAR"

 हर सख्श नही चल सकता ,
 आपके हिसाब से ,
थोड़ा आप भी बदल जाओ ,
 वक़्त के हसाब से,
औऱ कुछ पल के लिए, 
नजरिया को बदलो,
 जनाब  आईना नही ,
 अपनी सख्शियत को बदलो।

अरुण राजपूत की कलम से---//

©ARUN KUMAR

हर सख्श नही चल सकता , आपके हिसाब से , थोड़ा आप भी बदल जाओ , वक़्त के हसाब से, औऱ कुछ पल के लिए, नजरिया को बदलो, जनाब आईना नही , अपनी सख्शियत को बदलो। अरुण राजपूत की कलम से---// ©ARUN KUMAR

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