प्रधानमंत्री जी भारत में पड़ चुकी एक ग़लत परम्परा

"प्रधानमंत्री जी भारत में पड़ चुकी एक ग़लत परम्परा को सुधारने की अत्यंत आवश्यकता है ! भारत के " प्रधानमंत्री " को विशेष दर्जा या सम्मान उस व्यक्ति विशेष द्वारा ली गयी शपथग्रहण समारोह में उस शपथपत्र के वोह शब्द हैं जिन का उसे पालन करना होता है। किसी ऐसे व्यक्ति विशेष को "प्रिय प्रधानमंत्री जी" कहा जाय या नहीं, यह उस गरिमापूर्ण पद पर बैठने वाले व्यक्ति विशेष के कर्मकांडो और भारत के नागरिकों एवं भारतवर्ष और " भारतवर्ष के संविधान " को पालना व सम्मान देने पर ही निर्भर करता है, अन्यथा वह "केन्द्रीय मंत्री मंडल" का प्रमुख "प्रधानमंत्री" तो हो सकता जनता का सम्मान जनक कभी नहीं हो सकता। आज इस व्याख्या की आवश्यकता क्यों आ पड़ी है इस का एक कटु प्रमाण यह है कि देश में दूसरे दौर में एक ऐसा व्यक्ति विशेष प्रधानमंत्री की कुर्सी पर क़ब्जा कर के बैठा हुआ है जो भारत के लिए दुर्भाग्यपूर्ण है कि वह अपराधी पृष्ठभूमि से आया है। आर एस एस-राष्ट्र सर्वनाशी संघ जैसी आतंकवादी संगठन का पूर्व प्रचारक भी जो कर्मानुसार झूठा, बेईमान और धोखेबाज होता है। ©Mohammed Shamoon"

 प्रधानमंत्री जी 
भारत में पड़ चुकी एक ग़लत परम्परा को सुधारने की अत्यंत आवश्यकता है !

भारत के " प्रधानमंत्री " को विशेष दर्जा या सम्मान उस व्यक्ति विशेष द्वारा ली गयी शपथग्रहण समारोह में उस शपथपत्र के वोह शब्द हैं जिन का उसे पालन करना होता है।
किसी ऐसे व्यक्ति विशेष को "प्रिय प्रधानमंत्री जी" कहा जाय या नहीं,
यह उस गरिमापूर्ण पद पर बैठने वाले व्यक्ति विशेष के कर्मकांडो और भारत के नागरिकों एवं भारतवर्ष और " भारतवर्ष के संविधान " को पालना व सम्मान देने  पर ही निर्भर करता है, अन्यथा वह "केन्द्रीय मंत्री मंडल" का प्रमुख "प्रधानमंत्री" तो हो सकता जनता का सम्मान जनक कभी नहीं हो सकता।
आज इस व्याख्या की आवश्यकता क्यों आ पड़ी है इस का एक कटु प्रमाण यह है कि देश में दूसरे दौर में एक ऐसा व्यक्ति विशेष प्रधानमंत्री की कुर्सी पर क़ब्जा कर के बैठा हुआ है जो भारत के लिए दुर्भाग्यपूर्ण है कि वह अपराधी पृष्ठभूमि से आया है। आर एस एस-राष्ट्र सर्वनाशी संघ जैसी आतंकवादी संगठन का पूर्व प्रचारक भी जो कर्मानुसार झूठा, बेईमान और धोखेबाज होता है।

©Mohammed Shamoon

प्रधानमंत्री जी भारत में पड़ चुकी एक ग़लत परम्परा को सुधारने की अत्यंत आवश्यकता है ! भारत के " प्रधानमंत्री " को विशेष दर्जा या सम्मान उस व्यक्ति विशेष द्वारा ली गयी शपथग्रहण समारोह में उस शपथपत्र के वोह शब्द हैं जिन का उसे पालन करना होता है। किसी ऐसे व्यक्ति विशेष को "प्रिय प्रधानमंत्री जी" कहा जाय या नहीं, यह उस गरिमापूर्ण पद पर बैठने वाले व्यक्ति विशेष के कर्मकांडो और भारत के नागरिकों एवं भारतवर्ष और " भारतवर्ष के संविधान " को पालना व सम्मान देने पर ही निर्भर करता है, अन्यथा वह "केन्द्रीय मंत्री मंडल" का प्रमुख "प्रधानमंत्री" तो हो सकता जनता का सम्मान जनक कभी नहीं हो सकता। आज इस व्याख्या की आवश्यकता क्यों आ पड़ी है इस का एक कटु प्रमाण यह है कि देश में दूसरे दौर में एक ऐसा व्यक्ति विशेष प्रधानमंत्री की कुर्सी पर क़ब्जा कर के बैठा हुआ है जो भारत के लिए दुर्भाग्यपूर्ण है कि वह अपराधी पृष्ठभूमि से आया है। आर एस एस-राष्ट्र सर्वनाशी संघ जैसी आतंकवादी संगठन का पूर्व प्रचारक भी जो कर्मानुसार झूठा, बेईमान और धोखेबाज होता है। ©Mohammed Shamoon

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