White भला मैं ही क्यों
मुश्किल मंजिल से टकराता हूँ
और फिर हार जाता हूँ
भला मैं ही क्यों?
दिलों में कई उम्मीद लिए फिरता हूँ
और फिर टूट जाता हूँ
भला मैं ही क्यों?
इरादे नेक रखूँ या अनेक रखूँ
लोगों की नज़रों में गिर ही जाता हूँ
भला मैं ही क्यों?
सोचूँ यादें पुरानी तो घबराता हूँ
और फिर मुस्कुराता हूँ
भला मैं ही क्यों?
©सागर मंथन
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