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...और मैं शायर बन गया...✍
White बहुत बदनाम हुए थे जालिम मेरी की हुई बातों से खैर जाने दो सागर ,अब हम उसका चर्चा भी नहीं करते! ©सागर मंथन
सागर मंथन
14 Love
White भला मैं ही क्यों मुश्किल मंजिल से टकराता हूँ और फिर हार जाता हूँ भला मैं ही क्यों? दिलों में कई उम्मीद लिए फिरता हूँ और फिर टूट जाता हूँ भला मैं ही क्यों? इरादे नेक रखूँ या अनेक रखूँ लोगों की नज़रों में गिर ही जाता हूँ भला मैं ही क्यों? सोचूँ यादें पुरानी तो घबराता हूँ और फिर मुस्कुराता हूँ भला मैं ही क्यों? ©सागर मंथन
13 Love
White तुम ज़ाहिर करो झूठी खुशी कितनी भी अपनी रूह में बसने वालों को पता चल ही जाता है! ©सागर मंथन
15 Love
White बुरी आदतें थी हमारी तो क्या अच्छी तुम्हें करनी थी खाली राहें थी हमारी तो क्या मंज़िलें तुम्हें भरनी थी छोड़ जाने के बहाने हजार थे तुम्हारे, आरजू पाने की थी तो क्या कोशिश तुम्हें करनी थी! ©सागर मंथन
12 Love
White ऊब गये हो जिंदगी से कहीं तो चलो सफ़र में मेरे साथ देखोे पहाड़ों को नज़रों से मेरी इनकी ख़ामोशी दे रही इजाजत यहीं ठहर जाने को, सुनो अभी-अभी सरसराती हवा ने कुछ कहा है कानों में मेरे मानो स्वागत किया हो उसने तहेदिल से मेरा फ़िर आगे चलकर होती है वो टिमटिमाती चाँदनी रात ऊब गये हो जिंदगी से कहीं तो चलो सफ़र में मेरे साथ।। ©सागर मंथन
17 Love
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