दिल किसी पर उदार नहीं होता। एक अरसे से मुझे प्यार | हिंदी Poetry

"दिल किसी पर उदार नहीं होता। एक अरसे से मुझे प्यार नहीं होता। तु गया है और तेरे पीछे इश्क़ भी, अब मेरा आप निसार नहीं होता। तेरे बाद आए है और भी बहुत, पर किसी पर एतबार नहीं होता। तेरे लिए दिल उदास न हो कैसे भला, होता तो है पर बेशुमार नहीं होता। तेरे साथ ने भर ली इतनी हामी मुझमें, के अब मुझसे कँही इंकार नहीं होता। बहलाते है हम भी दिल दुनियादारी में, दिल्लगी हो भी जाए तो इकरार नहीं होता। घूमता तो है तीर ए ग़म चार सू निशा, अफ़सोस ज़िगर के आर-पार नहीं होता। ©Ritu Nisha"

 दिल किसी पर उदार नहीं होता। 
एक अरसे से मुझे प्यार नहीं होता। 

तु गया है और तेरे पीछे इश्क़ भी, 
अब मेरा आप निसार नहीं होता। 

तेरे बाद आए है और भी बहुत, 
पर किसी पर एतबार नहीं होता। 

तेरे लिए दिल उदास न हो कैसे भला, 
होता तो है पर बेशुमार नहीं होता। 

तेरे साथ ने भर ली इतनी हामी मुझमें, 
के अब मुझसे कँही इंकार नहीं होता। 

बहलाते है हम भी दिल दुनियादारी में, 
दिल्लगी हो भी जाए तो इकरार नहीं होता। 

घूमता तो है तीर ए ग़म चार सू निशा, 
अफ़सोस ज़िगर के आर-पार नहीं होता।

©Ritu Nisha

दिल किसी पर उदार नहीं होता। एक अरसे से मुझे प्यार नहीं होता। तु गया है और तेरे पीछे इश्क़ भी, अब मेरा आप निसार नहीं होता। तेरे बाद आए है और भी बहुत, पर किसी पर एतबार नहीं होता। तेरे लिए दिल उदास न हो कैसे भला, होता तो है पर बेशुमार नहीं होता। तेरे साथ ने भर ली इतनी हामी मुझमें, के अब मुझसे कँही इंकार नहीं होता। बहलाते है हम भी दिल दुनियादारी में, दिल्लगी हो भी जाए तो इकरार नहीं होता। घूमता तो है तीर ए ग़म चार सू निशा, अफ़सोस ज़िगर के आर-पार नहीं होता। ©Ritu Nisha

#Blossom

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