White ऐ, गालिब ...! !!!______________!!! लिखूं तो | हिंदी शायरी

"White ऐ, गालिब ...! !!!______________!!! लिखूं तो क्या लिखूं मैं,,उस ख़त पर ..!! जिस ख़त का इंतज़ार,, हर वर्ष रहता है उनको...! सब का घर बसा कर,,ख़ुद को एकांत में करने लगीं हैं...!! !!..हाँ मैंने माना कि..!! !_________________! एक सूखे पत्ते कि तरह टूट कर...! आहिस्ता_आहिस्ता बिखर गई..!! एक ज़िंदगी कि तरह..! लेकिन एक सूखे पत्ते कि तरह..!! बिखर कर संभल जाना आसान नहीं होता..!! !!जन्म उत्सव पर हार्दिक शुभकामनाएं गुरू जी!! !________________________________________! ईश्वर सदैव आपको स्वास्थ और खुशहाल जीवन प्रदान करें...!! !____________________________________________! ©Sumit sahu"

 White ऐ, गालिब ...!
!!!______________!!!

लिखूं तो क्या लिखूं मैं,,उस ख़त पर ..!!
जिस ख़त का इंतज़ार,, हर वर्ष रहता है उनको...!
सब का घर बसा कर,,ख़ुद को एकांत में करने लगीं हैं...!!

!!..हाँ मैंने माना कि..!!
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एक सूखे पत्ते कि तरह टूट कर...!
आहिस्ता_आहिस्ता बिखर गई..!!
 एक ज़िंदगी कि तरह..!
लेकिन एक सूखे पत्ते कि तरह..!!
 बिखर कर संभल जाना आसान नहीं होता..!!

!!जन्म उत्सव पर हार्दिक शुभकामनाएं गुरू जी!!
!________________________________________!
ईश्वर सदैव आपको स्वास्थ और खुशहाल जीवन प्रदान करें...!!
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©Sumit sahu

White ऐ, गालिब ...! !!!______________!!! लिखूं तो क्या लिखूं मैं,,उस ख़त पर ..!! जिस ख़त का इंतज़ार,, हर वर्ष रहता है उनको...! सब का घर बसा कर,,ख़ुद को एकांत में करने लगीं हैं...!! !!..हाँ मैंने माना कि..!! !_________________! एक सूखे पत्ते कि तरह टूट कर...! आहिस्ता_आहिस्ता बिखर गई..!! एक ज़िंदगी कि तरह..! लेकिन एक सूखे पत्ते कि तरह..!! बिखर कर संभल जाना आसान नहीं होता..!! !!जन्म उत्सव पर हार्दिक शुभकामनाएं गुरू जी!! !________________________________________! ईश्वर सदैव आपको स्वास्थ और खुशहाल जीवन प्रदान करें...!! !____________________________________________! ©Sumit sahu

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