गांव-गांव और गली-गली महिलाओं की बनी टोली “पंचसूत | हिंदी कविता

"गांव-गांव और गली-गली महिलाओं की बनी टोली “पंचसूत्र” का करती पालन स्वयं समूह करती संचालन   बचत वो करती थोड़ी-थोड़ी आर्थिक-विकास-पथ बढ़ चली मंद-मंद साक्षरता की ज्योति मन-मंदिर में उनके जल रही   सशक्तिकरण की ओर बढ़ रही सामाजिक कुरीतियां तोड़ रही जागरूकता के प्रकाश-पुंज में हर महिला “जीविका” से जुड़ रही ©विजय"

 गांव-गांव और गली-गली

महिलाओं की बनी टोली

“पंचसूत्र” का करती पालन

स्वयं समूह करती संचालन

 

बचत वो करती थोड़ी-थोड़ी

आर्थिक-विकास-पथ बढ़ चली

मंद-मंद साक्षरता की ज्योति

मन-मंदिर में उनके जल रही

 


सशक्तिकरण की ओर बढ़ रही

सामाजिक कुरीतियां तोड़ रही

जागरूकता के प्रकाश-पुंज में

हर महिला “जीविका” से जुड़ रही

©विजय

गांव-गांव और गली-गली महिलाओं की बनी टोली “पंचसूत्र” का करती पालन स्वयं समूह करती संचालन   बचत वो करती थोड़ी-थोड़ी आर्थिक-विकास-पथ बढ़ चली मंद-मंद साक्षरता की ज्योति मन-मंदिर में उनके जल रही   सशक्तिकरण की ओर बढ़ रही सामाजिक कुरीतियां तोड़ रही जागरूकता के प्रकाश-पुंज में हर महिला “जीविका” से जुड़ रही ©विजय

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