वक़्त के दौर में हम बिखर जाएंगे, मंज़िल की चाह में
"वक़्त के दौर में हम बिखर जाएंगे,
मंज़िल की चाह में हम रफ़्तार बढ़ाएंगे
मिलेंगे-बिछड़ेंगे,गिरेंगे-सम्भल जाएंगे,
ज़िंदगी की किसी मोड़ पर हम फ़िर से टकराएंगे.."
वक़्त के दौर में हम बिखर जाएंगे,
मंज़िल की चाह में हम रफ़्तार बढ़ाएंगे
मिलेंगे-बिछड़ेंगे,गिरेंगे-सम्भल जाएंगे,
ज़िंदगी की किसी मोड़ पर हम फ़िर से टकराएंगे..