एक शाम हथेली पर रख कर भूल गए,
हम इस बार जो सम्भाले तो बिखरना भूल गए
रूठी है माँ मुझसे इतने दिनों से,
कहती है तुम बड़े क्या हुए मुस्कुराना भूल गए
ये पिछले कुछ दिनों की बात है,
हम अलार्म लगाकर नींद को बुलाना भूल गए
जेबों में सिक्कों की खनक तो भर ली हमने,
मगर खुशियों को संग लाना भूल गए
सूरज क्या निकल आया छत पर हमारे,
हम तो चांद तारों को भी भूल गए
मौत आई है चौखट पर आज हमारे,
हम उसे गले लगाकर इस जहां को ही भूल गए
एक शाम हथेली पर रख कर भूल गए,
हम इस बार जो सम्भाले तो बिखरना भूल गए
रूठी है माँ मुझसे इतने दिनों से,
कहती है तुम बड़े क्या हुए मुस्कुराना भूल गए
ये पिछले कुछ दिनों की बात है,
हम अलार्म लगाकर नींद को बुलाना भूल गए
जेबों में सिक्कों की खनक तो भर ली हमने,
मगर खुशियों को संग लाना भूल गए
सूरज क्या निकल आया छत पर हमारे,
हम तो चांद तारों को भी भूल गए
मौत आई है चौखट पर आज हमारे,
हम उसे गले लगाकर इस जहां को ही भूल गए
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Happy New Year कुछ हसीन लम्हें बने कुछ नया अतीत हुआ,
कुछ ख्वाब अब भी हैं, कुछ तो टूट गया
कोई रूठ गया, कोई छुठ गया,
हाँ, वो अपना था जो सब कुछ लुट गया
अपनों वाला गीत गया,वो पुराना रीत गया,
देखो अखिर फ़िर एक साल बीत गया
वक़्त के दौर में हम बिखर जाएंगे,
मंज़िल की चाह में हम रफ़्तार बढ़ाएंगे
मिलेंगे-बिछड़ेंगे,गिरेंगे-सम्भल जाएंगे,
ज़िंदगी की किसी मोड़ पर हम फ़िर से टकराएंगे..
वक़्त के दौर में हम बिखर जाएंगे,
मंज़िल की चाह में हम रफ़्तार बढ़ाएंगे
मिलेंगे-बिछड़ेंगे,गिरेंगे-सम्भल जाएंगे,
ज़िंदगी की किसी मोड़ पर हम फ़िर से टकराएंगे..
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असत्य पे सत्य की जीत हो,
अंदर का अहंकार भस्म हो जाए
सुरक्षित हो हर व्यक्ति धरती पर,
रावण संग दो सब अपना अतीत जलाये
सुख और शांति हो हर तरफ़
नकारात्मक सोच कभी निकट ना आए,
ऐसे ही सोच के साथ इस बार चलिए हम सब दशहरा मनाए...
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