Law and Justice अंधे अंधेरों से माँगे आज़ादी,
गूँगे सन्नाटों से विदा कहें,
बेहरों को शिकायत है शोरोगुल से,
ग़रीब बस ग़रीबी की ख़ता सहे।
रविकुमार
अंधे अंधेरों से माँगे आज़ादी,
गूँगे सन्नाटों से विदा कहें,
बेहरों को शिकायत है शोरोंगुल से,
ग़रीब बस ग़रीबी की ख़ता सहे।
रविकुमार