आशिफ
मौत पुकारे भी तो हिच्चकिया नहीं आती
आदतन रोने पर भी सिसकियां नहीं जाती
धकेलना पड़ता है खुद अपनी जमीं को।
पर लगाने कोई कस्तिया नहीं आती ।
नई नस्लें या शाख कटी शायरी बोनसाई।
मेरे मासूमों को अब मस्तियां नहीं आती।
बेरहम बहरा हो रहा है खुदा भी आशिफ ।
गरीब के हिस्से खुशहालियं नहीं आती ।
सीमा शर्मा
©Asif Ansari
सीमा शर्मा एंड आशिफ अंसारी
#baarish