आशिफ मौत पुकारे भी तो हिच्चकिया नहीं आती आदतन र | हिंदी शायरी

"आशिफ मौत पुकारे भी तो हिच्चकिया नहीं आती आदतन रोने पर भी सिसकियां नहीं जाती धकेलना पड़ता है खुद अपनी जमीं को। पर लगाने कोई कस्तिया नहीं आती । नई नस्लें या शाख कटी शायरी बोनसाई। मेरे मासूमों को अब मस्तियां नहीं आती। बेरहम बहरा हो रहा है खुदा भी आशिफ । गरीब के हिस्से खुशहालियं नहीं आती । सीमा शर्मा ©Asif Ansari"

 आशिफ 

 मौत पुकारे भी तो हिच्चकिया नहीं आती
आदतन रोने पर भी सिसकियां नहीं जाती

धकेलना पड़ता है खुद अपनी जमीं को।
पर लगाने कोई कस्तिया नहीं आती ।

नई नस्लें या शाख कटी शायरी बोनसाई।
मेरे मासूमों को अब मस्तियां नहीं आती। 

बेरहम बहरा हो रहा है खुदा भी आशिफ ।
गरीब के हिस्से खुशहालियं  नहीं आती । 

सीमा शर्मा

©Asif Ansari

आशिफ मौत पुकारे भी तो हिच्चकिया नहीं आती आदतन रोने पर भी सिसकियां नहीं जाती धकेलना पड़ता है खुद अपनी जमीं को। पर लगाने कोई कस्तिया नहीं आती । नई नस्लें या शाख कटी शायरी बोनसाई। मेरे मासूमों को अब मस्तियां नहीं आती। बेरहम बहरा हो रहा है खुदा भी आशिफ । गरीब के हिस्से खुशहालियं नहीं आती । सीमा शर्मा ©Asif Ansari

सीमा शर्मा एंड आशिफ अंसारी

#baarish

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