White तुम मिले, मन मिला, सुकून जैसे ठहर गया, की गा | हिंदी Poetry

"White तुम मिले, मन मिला, सुकून जैसे ठहर गया, की गांव का वो लड़का, जैसे अभी शहर गया। खोजता भटक रहा , अधूरी थी तलाश अभी , आंखो को थकाते, कितनी रातों का पहर गया। तुम मिली तो जैसे लगा, ख्वाबों को कुछ बल मिला, थके हुए रातों को, भोर का कुछ पल मिला। तलाश था की मेरे भी हिस्से में जरा प्यार हो। तुमसे मिलके लगा जैसे, गांव से मैं कल मिला।। खालीपन से लदा मुझमें, एक हिस्सा अब भी है।  बिखरी हुई कहानियों का ,एक किस्सा अब भी है। नसीब से नाराज़ था, किस्से में प्रेम क्यूं नहीं? पाया तुम्हे पता चला, हिस्से में प्रेम अब भी है।। अगर कबूल हो तुम्हे, तलाश को आयाम दूं? प्रेम के इस किस्से के, किरदार को इक नाम दूंl मैं राही अभी भटका हुआ, तलाश है एक मोड़ की। मंजूर है अगर तुम्हे, इस सफर को एक अंजाम दूं? ©Vishwas Pradhan"

 White तुम मिले, मन मिला, सुकून जैसे ठहर गया,
की गांव का वो लड़का, जैसे अभी शहर गया।
खोजता भटक रहा , अधूरी थी तलाश अभी ,
आंखो को थकाते, कितनी रातों का पहर गया।


तुम मिली तो जैसे लगा, ख्वाबों को कुछ बल मिला,
थके हुए रातों को, भोर का कुछ पल मिला।
तलाश था की मेरे भी हिस्से में जरा प्यार हो।
तुमसे मिलके लगा जैसे, गांव से मैं कल मिला।।


खालीपन से लदा मुझमें, एक हिस्सा अब भी है। 
बिखरी हुई कहानियों का ,एक किस्सा अब भी है।
नसीब से नाराज़ था, किस्से में प्रेम क्यूं नहीं?
पाया तुम्हे पता चला, हिस्से में प्रेम अब भी है।।


अगर कबूल हो तुम्हे, तलाश को आयाम दूं?
प्रेम के इस किस्से के, किरदार को इक नाम दूंl
मैं राही अभी भटका हुआ, तलाश है एक मोड़ की।
मंजूर है अगर तुम्हे, इस सफर को एक अंजाम दूं?

©Vishwas Pradhan

White तुम मिले, मन मिला, सुकून जैसे ठहर गया, की गांव का वो लड़का, जैसे अभी शहर गया। खोजता भटक रहा , अधूरी थी तलाश अभी , आंखो को थकाते, कितनी रातों का पहर गया। तुम मिली तो जैसे लगा, ख्वाबों को कुछ बल मिला, थके हुए रातों को, भोर का कुछ पल मिला। तलाश था की मेरे भी हिस्से में जरा प्यार हो। तुमसे मिलके लगा जैसे, गांव से मैं कल मिला।। खालीपन से लदा मुझमें, एक हिस्सा अब भी है।  बिखरी हुई कहानियों का ,एक किस्सा अब भी है। नसीब से नाराज़ था, किस्से में प्रेम क्यूं नहीं? पाया तुम्हे पता चला, हिस्से में प्रेम अब भी है।। अगर कबूल हो तुम्हे, तलाश को आयाम दूं? प्रेम के इस किस्से के, किरदार को इक नाम दूंl मैं राही अभी भटका हुआ, तलाश है एक मोड़ की। मंजूर है अगर तुम्हे, इस सफर को एक अंजाम दूं? ©Vishwas Pradhan

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