White ज़माने भर का सन्नाटा चार दिवारी होता है, ताज | हिंदी शायरी

"White ज़माने भर का सन्नाटा चार दिवारी होता है, ताज़ा मिले ज़ख्मों पर दर्द भारी होता है। साथ जीएं साथ रहें ऐसा तो मुमकिन भी है, अन्त सभी का लेकिन बारी बारी होता है। ©एस पी "हुड्डन""

 White ज़माने भर का सन्नाटा चार दिवारी होता है,
ताज़ा  मिले  ज़ख्मों  पर दर्द भारी होता है।
साथ जीएं साथ रहें ऐसा तो मुमकिन भी है,
अन्त  सभी का  लेकिन बारी बारी होता है।

©एस पी "हुड्डन"

White ज़माने भर का सन्नाटा चार दिवारी होता है, ताज़ा मिले ज़ख्मों पर दर्द भारी होता है। साथ जीएं साथ रहें ऐसा तो मुमकिन भी है, अन्त सभी का लेकिन बारी बारी होता है। ©एस पी "हुड्डन"

#सन्नाटा

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