White विश्व मुस्कान दिवस के उपलक्ष्य में
- कुण्डलिया -
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दूभर होती जा रही, एक इंच मुस्कान।
ओढ़े हैंं गम्भीरता, माने मनुज महान।।
माने मनुज महान, हृदय में भरे कुटिलता।
आसपास है कौन, किसी से कभी न मिलता।।
द्वेष कपट छल दम्भ, पालकर मूते भूभर।
कैसा आया वक़्त, हुआ मुस्काना दूभर।।
-हरिओम श्रीवास्तव-
©Hariom Shrivastava
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