टूट चुका है सब अंदर, ठीक करें पर कैसे हम, अब उनसे | हिंदी शायरी

"टूट चुका है सब अंदर, ठीक करें पर कैसे हम, अब उनसे यूँ मिलते है, भूल गये हो जैसे हम। ©Akshay vyas"

 टूट चुका है सब अंदर,
ठीक करें पर कैसे हम,
अब उनसे यूँ मिलते है,
भूल गये हो जैसे हम।

©Akshay vyas

टूट चुका है सब अंदर, ठीक करें पर कैसे हम, अब उनसे यूँ मिलते है, भूल गये हो जैसे हम। ©Akshay vyas

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