Akshay vyas

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सारी दुनियां के लिए लफ़ंडर हूँ में, अपने यारों के लिये सिकंदर हूँ में।

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कल तलक जिनके लिये हम ख़ास होते थे, आज़ उनके वासते हम ग़ैर है यारों, झेल लूँगा दर्द सारे ख़ुद अकेले ही, यार तुम्हारा भी बब्बर शेर है यारों। ©Akshay vyas

#शायरी  कल तलक जिनके लिये हम ख़ास होते थे,
आज़ उनके वासते हम ग़ैर है यारों,
झेल लूँगा दर्द सारे ख़ुद अकेले ही,
यार तुम्हारा भी बब्बर शेर है यारों।

©Akshay vyas

कल तलक जिनके लिये हम ख़ास होते थे, आज़ उनके वासते हम ग़ैर है यारों, झेल लूँगा दर्द सारे ख़ुद अकेले ही, यार तुम्हारा भी बब्बर शेर है यारों। ©Akshay vyas

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अक़्सर आपने देखा होगा,जंगल मे या और कहीं भी पेड़ अपने आप उग जाते है,और वो विशालकाय भी हो जाते है,लेक़िन जब हम कोई पेड़ घर मे लाकर लगा देते है और पानी भी रोज़ाना देते है लेक़िन पेड़ विशालकाय होने की बजाय सूखने लगता है, दरसल जो पेड़ जंगल मे उगा उसको मालूम है कि उसका सफ़ऱ उसी को तय करना है,परन्तु घर वाला पेड़ उस व्यक्ति से प्रेम की अभिलाषा रखता है जो उसे वहां लेकर आया,और प्रेम(देखरेख)के अभाव में सूखने लगता है,इसलिए हमेशा याद रखे, पेड़ और रिश्ते पानी से नही,प्रेम से विशाल बनते है। ✍️अक्षय व्यास ©Akshay vyas

#शायरी #peace  अक़्सर आपने देखा होगा,जंगल मे या और कहीं भी  पेड़ अपने आप उग जाते है,और वो विशालकाय भी हो जाते है,लेक़िन जब हम कोई पेड़ घर मे लाकर लगा देते है और पानी भी रोज़ाना देते है लेक़िन पेड़ विशालकाय होने की बजाय सूखने लगता है,
दरसल जो पेड़ जंगल मे उगा उसको मालूम है कि उसका सफ़ऱ उसी को तय करना है,परन्तु घर वाला पेड़ उस व्यक्ति से प्रेम की अभिलाषा रखता है जो उसे वहां लेकर आया,और प्रेम(देखरेख)के अभाव में सूखने लगता है,इसलिए हमेशा याद रखे,
पेड़ और रिश्ते पानी से नही,प्रेम से विशाल बनते है।
✍️अक्षय व्यास

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#peace

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जब अँधेरे ने गगन को ढक रखा था तब, मैं सवेरे का उजाला देखने आया, ये लगा पहरी मुझे आज़ाद कर देगा, रात को लेक़िन वो ताला देखने आया। ©Akshay vyas

#शायरी  जब अँधेरे ने गगन को ढक रखा था तब,
मैं सवेरे का उजाला देखने आया,
ये लगा पहरी मुझे आज़ाद कर देगा,
रात को लेक़िन वो ताला देखने आया।

©Akshay vyas

जब अँधेरे ने गगन को ढक रखा था तब, मैं सवेरे का उजाला देखने आया, ये लगा पहरी मुझे आज़ाद कर देगा, रात को लेक़िन वो ताला देखने आया। ©Akshay vyas

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ख़ुदी तोड़ो ख़ुदी जोड़ो ख़ुदी को अब सताओ मत, शमा को या बुझाओ मत बुझे तो फिर जलाओ मत। ©Akshay vyas

#शायरी  ख़ुदी तोड़ो ख़ुदी जोड़ो 
ख़ुदी को अब सताओ मत,
शमा को या बुझाओ मत 
बुझे तो फिर जलाओ मत।

©Akshay vyas

ख़ुदी तोड़ो ख़ुदी जोड़ो ख़ुदी को अब सताओ मत, शमा को या बुझाओ मत बुझे तो फिर जलाओ मत। ©Akshay vyas

9 Love

टूट चुका है सब अंदर, ठीक करें पर कैसे हम, अब उनसे यूँ मिलते है, भूल गये हो जैसे हम। ©Akshay vyas

#शायरी  टूट चुका है सब अंदर,
ठीक करें पर कैसे हम,
अब उनसे यूँ मिलते है,
भूल गये हो जैसे हम।

©Akshay vyas

टूट चुका है सब अंदर, ठीक करें पर कैसे हम, अब उनसे यूँ मिलते है, भूल गये हो जैसे हम। ©Akshay vyas

9 Love

ढूंढता हूँ मैं तुम्हारे को तुम्हारे में, अब बता भी दो मुझे की तुम कहाँ पे हो, ख़ूब सारी बात करनी है मुझे तुमसे, कशमकश ये है शुरू बातें कहाँ से हो। ©Akshay vyas

#शायरी #WritersSpecial  ढूंढता हूँ मैं तुम्हारे को तुम्हारे में,
अब बता भी दो मुझे की तुम कहाँ पे हो,
ख़ूब सारी बात करनी है मुझे तुमसे,
कशमकश ये है शुरू बातें कहाँ से हो।

©Akshay vyas
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