एक बार ही सही इन हवाओं का रुख बदल जाये , उड़े जो | हिंदी शायरी

"एक बार ही सही इन हवाओं का रुख बदल जाये , उड़े जो तेरे बदन से ओढ़नी मेरा कफ़न संवर जाये । ये जिन्दगी जो मेरी न गुजरी तेरी ज़ुल्फ़ों की छाँव में , तेरे इत्र की खुशबू से मेरी कब्र का मंज़र बदल जाये ।। ©Kumar.vikash18"

 एक बार ही सही इन हवाओं का
रुख बदल जाये ,

उड़े जो तेरे बदन से ओढ़नी मेरा
कफ़न संवर जाये ।

ये जिन्दगी जो मेरी न गुजरी तेरी
ज़ुल्फ़ों की छाँव में ,

तेरे इत्र की खुशबू से मेरी कब्र का
मंज़र बदल जाये ।।

©Kumar.vikash18

एक बार ही सही इन हवाओं का रुख बदल जाये , उड़े जो तेरे बदन से ओढ़नी मेरा कफ़न संवर जाये । ये जिन्दगी जो मेरी न गुजरी तेरी ज़ुल्फ़ों की छाँव में , तेरे इत्र की खुशबू से मेरी कब्र का मंज़र बदल जाये ।। ©Kumar.vikash18

#Eid-e-milad

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