कभी बेबाक हंसी तो कभी शर्मो हया है तू हर दिन जैसे | हिंदी शायरी
"कभी बेबाक हंसी तो कभी शर्मो हया है
तू हर दिन जैसे एक ख्वाब नया है
मैं लिखता हूं बातें सब कहने को
पर तू बिन कहे करती नज़रों से सब बयां है
तू हर दिन जैसे एक ख्वाब नया है।
Dilseshayar"
कभी बेबाक हंसी तो कभी शर्मो हया है
तू हर दिन जैसे एक ख्वाब नया है
मैं लिखता हूं बातें सब कहने को
पर तू बिन कहे करती नज़रों से सब बयां है
तू हर दिन जैसे एक ख्वाब नया है।
Dilseshayar