रुझानों से परे थे अपने नाते,क्युकी त्याग और तृष्ण | हिंदी शायरी

"रुझानों से परे थे अपने नाते,क्युकी त्याग और तृष्णा कभी एक नहीं हो पाते ©JITESH BHARDWAJ "

 रुझानों से परे थे अपने नाते,क्युकी 
त्याग और तृष्णा कभी एक नहीं हो पाते

©JITESH BHARDWAJ

रुझानों से परे थे अपने नाते,क्युकी त्याग और तृष्णा कभी एक नहीं हो पाते ©JITESH BHARDWAJ

#Hopeless

People who shared love close

More like this

Trending Topic