चुप था मगर इतना भी खामोश कहाँ था फ़क़त सोया ही तो थ | हिंदी Poetry

"चुप था मगर इतना भी खामोश कहाँ था फ़क़त सोया ही तो था मैं बेहोश कहाँ था माना की था मैं तेरे हुस्न पर फ़िदा उम्र भर नज़रे मिला न सकू ऐसा भी मदहोश कहाँ था सौरभ श्रीवास्तव "निराला""

 चुप था मगर इतना भी खामोश कहाँ था 
फ़क़त सोया ही तो था मैं बेहोश कहाँ था 

माना की था मैं तेरे हुस्न पर फ़िदा उम्र भर 
नज़रे मिला न सकू ऐसा भी मदहोश कहाँ था 


सौरभ श्रीवास्तव "निराला"

चुप था मगर इतना भी खामोश कहाँ था फ़क़त सोया ही तो था मैं बेहोश कहाँ था माना की था मैं तेरे हुस्न पर फ़िदा उम्र भर नज़रे मिला न सकू ऐसा भी मदहोश कहाँ था सौरभ श्रीवास्तव "निराला"

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