7 Love
हर्फ़ दर हर्फ़ मैं उन्हें यूँ ही पढता चला गया उन अंजान रास्तो पर आगे बढ़ता चला गया कलम उठाई थी मैंने जनाब इन्क्लाब के लिए न जाने क्यों मैं सिर्फ ग़ज़ल लिखता चला गया वक़्त गुजारने की खातिर तुमने बातें की मुझसे खता ये थी मेरी मैं इसे इश्क़ समझता चला गया
6 Love
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