उसके हाथों में ऐसी गर्मी थी छू ले तो ग्लेशियर पिघल | हिंदी Quotes

"उसके हाथों में ऐसी गर्मी थी छू ले तो ग्लेशियर पिघल जाए खौल जाए बर्फ हिमालय की वादियां दूध सी उबल जाए जाने शकुंतलम के पन्नों से बिन बताए वो कब निकल आई कोई देख भी नही पाया, वस्त्र बादल के वो बदल आई उसके बाहों को रखके सिरहाने कोई सोए तो फिर जागे क्या कामनाओं के आखिरी तट पर बस वही तो हैं, उससे आगे क्या! ©Gaurav udvigna"

 उसके हाथों में ऐसी गर्मी थी
छू ले तो ग्लेशियर पिघल जाए
खौल जाए बर्फ हिमालय की
वादियां दूध सी उबल जाए

जाने शकुंतलम के पन्नों से
बिन बताए वो कब निकल आई
कोई देख भी नही पाया,
वस्त्र बादल के वो बदल आई

उसके बाहों को रखके सिरहाने
कोई सोए तो फिर जागे क्या
कामनाओं के आखिरी तट पर
बस वही तो हैं, उससे आगे क्या!

©Gaurav udvigna

उसके हाथों में ऐसी गर्मी थी छू ले तो ग्लेशियर पिघल जाए खौल जाए बर्फ हिमालय की वादियां दूध सी उबल जाए जाने शकुंतलम के पन्नों से बिन बताए वो कब निकल आई कोई देख भी नही पाया, वस्त्र बादल के वो बदल आई उसके बाहों को रखके सिरहाने कोई सोए तो फिर जागे क्या कामनाओं के आखिरी तट पर बस वही तो हैं, उससे आगे क्या! ©Gaurav udvigna

#PhisaltaSamay

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