झुक जाएं तारे धरती पर , मेरी दुनिया जन्नत हो जाए
मुमकिन हैं मेरी आंखों का हर ख़्वाब हकीकत हो जाए
पर दिल को तुम्हारी चाहत का एहसास नहीं तो कुछ भी नहीं
तुम पास नहीं तो कुछ भी नहीं!
आकाश पे तारे हो ना हो आंखों में तुम्हारा चेहरा हो
बेरंग हो दुनिया का मंज़र, बस चाहत का रंग गहरा हो
मेरे आंगन में सावन बरसे, माना कि मेरी हसरत है
पर तुम शबनम की बूंद हो जो, सदियों से मेरी अमानत हैं
मेरे होंठो पर इस शबनम की गर प्यास नहीं तो कुछ भी नहीं
तुम पास नहीं तो कुछ भी नहीं...!!!
©Gaurav udvigna
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