आकाश के मांद से निकला हुआ
धरती को पहनाता चांदनी चद्दर
बिखेरता हुआ रोशनी का साँद
सलोना कार्तिक का पूरण चांद
तुम सदा यूं ही चमकते रहना
रोशनी शान मुस्कान के साथ
सुकूनत यूं हीं बिखेरते रहना
वाह वाहे गुरु नानक देव का चांद
अपने मूक गीत से रीत से ओत
रौशन जीवन की प्रीत से प्रोत
कदम खामोश बढ़ाते हुए वो यूं
शीतल वो नयनाभिराम का चांद
नयनों को देता तृप्त मिठास
जिसमें पलता चांदनी का विश्वाश
सब को शबनमी रोशनी परोसता
शबनमी सब कार्तिक का चांद
मीठी मीठी सर्द फर्द की रात
चांदनी सुहागिनी की मधुर बात
इक रागनी का राग चांद का साथ
अद्भुत छंटा संग कार्तिक का चांद
मन की थकान को करता तार तार
नयन चांदनी फलक से करता वार
अंबुज पुंकेसर में भरता पराग पाग
खिली पंखुड़ियों पर दमकता चांद
अंबिका अनंत अंबुज AAA
©अंबिका अनंत अंबुज