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अंबिका अनंत अंबुज
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मेरी ख्वाहिशें मेरे दिल में दबी ही रहीं तवज्जों पर मैने बस तेरी खुशी रक्खी तुम्हारी जिंदगी उजाला बा काफी रहे लहू जला कर ईमान से दोस्ती रक्खी परवरिश तुम्हारी जिंदगी सलामत रहे बेपरवाह बा खुद से बे खुदी रक्खी बाजिंदगी मुकम्मल मंजिल तुझे मिले सर झुका के दुश्मनों से दोस्ती रक्खी बड़े सवाल थे हालात भी अच्छे नहीं तेरी किताबत कोई कमी नहीं रक्खी तेरा स्वाभिमान मान सम्मान भी रहे जुड़े हाथों से लोगों से दोस्ती रक्खी खुद की जिंदगी भले ही फांके काटी तेरी टिफिन पुष्ट नाश्ते से भरी रक्खी तेरे हर शौक बड़े शौक से पूरे किए टूटे जूते बनियान अपनी फटी रक्खी ख़्वाब अरमान अंबुज अधूरे ही रहे चिंता तुम्हारी पर झुठी हँसी रक्खी मुझे कभी भी एतराज ना रहा तुझसे तेरी खुशी में ही अपनी खुशी रक्खी अंबिका अनंत अंबुज AAA (पिता का पुत्र से संवाद) ©अंबिका अनंत अंबुज
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दिमाग ए इश्क बढ़ेगा नहीं ©अंबिका अनंत अंबुज
12 Love
आकाश के मांद से निकला हुआ धरती को पहनाता चांदनी चद्दर बिखेरता हुआ रोशनी का साँद सलोना कार्तिक का पूरण चांद तुम सदा यूं ही चमकते रहना रोशनी शान मुस्कान के साथ सुकूनत यूं हीं बिखेरते रहना वाह वाहे गुरु नानक देव का चांद अपने मूक गीत से रीत से ओत रौशन जीवन की प्रीत से प्रोत कदम खामोश बढ़ाते हुए वो यूं शीतल वो नयनाभिराम का चांद नयनों को देता तृप्त मिठास जिसमें पलता चांदनी का विश्वाश सब को शबनमी रोशनी परोसता शबनमी सब कार्तिक का चांद मीठी मीठी सर्द फर्द की रात चांदनी सुहागिनी की मधुर बात इक रागनी का राग चांद का साथ अद्भुत छंटा संग कार्तिक का चांद मन की थकान को करता तार तार नयन चांदनी फलक से करता वार अंबुज पुंकेसर में भरता पराग पाग खिली पंखुड़ियों पर दमकता चांद अंबिका अनंत अंबुज AAA ©अंबिका अनंत अंबुज
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