कभी कभी उलझी हुई पहेली जैसी लगती है, कभी सुलझा हुआ | हिंदी Poetry

"कभी कभी उलझी हुई पहेली जैसी लगती है, कभी सुलझा हुआ सवाल कभी कभी बेहद मासूम लगती है, कभी चालबाज कभी कभी पराई लगती है, तो कभी अपनी कोई ख़ास कभी कभी पूरी कहानी लगती है, तो कभी अधूरी किताब कभी कभी बेहद खुश लगती है और कभी बेहद उदास कभी कभी बेहद पागल लगती है, तो कभी बेहद समझदार कभी कभी आसानी से बातों में आ जाती है, तो कभी किसी की बाते नहीं आती रास कभी कभी सबसे रिश्ते रखती है, तो कभी अकेलापन ही आता है रास! वो लड़की, कितनी अलग लगती है वो लड़की,कितनी अलग लगती हैं! ©Alfaazdeepali deep"

 कभी कभी उलझी हुई पहेली जैसी लगती है,
कभी सुलझा हुआ सवाल
कभी कभी बेहद मासूम लगती है,
कभी  चालबाज
कभी कभी पराई लगती है,
तो कभी अपनी कोई ख़ास
कभी कभी  पूरी कहानी लगती है,
तो कभी अधूरी किताब
 कभी कभी बेहद खुश लगती है
और कभी बेहद उदास
कभी कभी बेहद पागल लगती है,
तो कभी बेहद समझदार 
कभी कभी आसानी से बातों में आ जाती है,
तो कभी किसी की बाते नहीं आती रास 
कभी कभी  सबसे रिश्ते रखती है,
तो कभी अकेलापन ही आता है रास!
वो लड़की, कितनी अलग लगती है
वो लड़की,कितनी अलग लगती हैं!

©Alfaazdeepali deep

कभी कभी उलझी हुई पहेली जैसी लगती है, कभी सुलझा हुआ सवाल कभी कभी बेहद मासूम लगती है, कभी चालबाज कभी कभी पराई लगती है, तो कभी अपनी कोई ख़ास कभी कभी पूरी कहानी लगती है, तो कभी अधूरी किताब कभी कभी बेहद खुश लगती है और कभी बेहद उदास कभी कभी बेहद पागल लगती है, तो कभी बेहद समझदार कभी कभी आसानी से बातों में आ जाती है, तो कभी किसी की बाते नहीं आती रास कभी कभी सबसे रिश्ते रखती है, तो कभी अकेलापन ही आता है रास! वो लड़की, कितनी अलग लगती है वो लड़की,कितनी अलग लगती हैं! ©Alfaazdeepali deep

#kitaab

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