दीदार-ऐ-यार का किया जो हमने_कूछ दर्द उसके लिऐ और क | हिंदी Shayari
"दीदार-ऐ-यार का किया जो हमने_कूछ दर्द उसके लिऐ और कूछ मेरे ईस द़िल्कश ने गजल लिख दी_पुरी सिद्दत से द़िल्लगी लगाई थी उनसे_कम्बॅख़्त उसके दर्दो मे भी बेवफाई निकली..."
दीदार-ऐ-यार का किया जो हमने_कूछ दर्द उसके लिऐ और कूछ मेरे ईस द़िल्कश ने गजल लिख दी_पुरी सिद्दत से द़िल्लगी लगाई थी उनसे_कम्बॅख़्त उसके दर्दो मे भी बेवफाई निकली...