दीदार-ऐ-यार का किया जो हमने_कूछ दर्द उसके लिऐ और कूछ मेरे ईस द़िल्कश ने गजल लिख दी_पुरी सिद्दत से द़िल्लगी लगाई थी उनसे_कम्बॅख़्त उसके दर्दो मे भी बेवफाई निकली.
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