मेरे अल्फ़ाज़ों मे मोहब्बत है कम,
और इसमें ग़म थोड़ा ज़्यादा है...........
मेरा यहां किसी एक शख़्स का भी,
दिल दुखाने का न कोई इरादा है.........
जब मैं पढ़ूंगा महफ़िल में ग़ज़ल,
सबको अपने महबूब याद आएंगे.........
कोई आंसू बहाए बिना नहीं उठेगा,
ये मेरा इस पूरी महफ़िल से वादा है.......
©Maddy Poet Maddy
मेरे अल्फ़ाज़ों मे मोहब्बत है कम,
और इसमें ग़म थोड़ा ज़्यादा है...........
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