पता नही क्यों जिन्दगी मे उलझन सी हो गई और रिस्तो क | हिंदी शायरी

"पता नही क्यों जिन्दगी मे उलझन सी हो गई और रिस्तो के आगे मेरे रिस्ते की अहमियत कम हो गई लगती तो थी चाँद जैसी शीतल वो हर वक़्त आज सूरज जैसी गरम क्यों हो गई अब वक़्त ही नही उसके पास मेरे लिये मेरे नाम की क्यों घड़ी बन्द हो गई ये अलग बात है खुशी हर वक़्त मेरे नसीब में नही कोई बात नही तू खुश रह लगता है तुम भी नसीब में नही ।। ©sanjay Punia"

 पता नही क्यों जिन्दगी मे उलझन सी हो गई
और रिस्तो के आगे मेरे रिस्ते की अहमियत कम हो गई 
लगती तो थी चाँद जैसी शीतल वो हर वक़्त
आज सूरज जैसी गरम क्यों हो गई 
अब वक़्त ही नही उसके पास मेरे लिये 
मेरे नाम की क्यों घड़ी बन्द हो गई
ये अलग बात है  खुशी हर वक़्त मेरे नसीब में नही 
कोई बात नही तू खुश रह लगता है तुम भी नसीब में नही ।।

©sanjay Punia

पता नही क्यों जिन्दगी मे उलझन सी हो गई और रिस्तो के आगे मेरे रिस्ते की अहमियत कम हो गई लगती तो थी चाँद जैसी शीतल वो हर वक़्त आज सूरज जैसी गरम क्यों हो गई अब वक़्त ही नही उसके पास मेरे लिये मेरे नाम की क्यों घड़ी बन्द हो गई ये अलग बात है खुशी हर वक़्त मेरे नसीब में नही कोई बात नही तू खुश रह लगता है तुम भी नसीब में नही ।। ©sanjay Punia

#HeartBreak

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